स्वतंत्रता के अवसर पर
आओ करे ऐसी पुकार
गूँज उठे सारा संसार
जय जय कार, जय जय कार
भारत माँ कि जय जय कार
न भुलो इस धरती को, इसने जना है किन किन शोलो को
छाती पर झेला जीन्होने, अंगार भरे बौछारो को
बलिदान उन शहीदों का व्यर्थ कभी न जायेगा
वही हमारे सिने में प्रेम कि ज्योत जगायेगा
पुकारेगा पुकारेगा
जय जय कार, जय जय कार
भारत माँ कि जय जय कार
वही रुको जहा हो तुम, बढावो न एक भी कदम
फिर न कहना अपने थे तुम, क्यो ढाये इतने सितम
वही है इरादे, वही है खून, वही है दम
एक शांत समंदर है हम, खौले ने कही समझो न कम
स्वतंत्रता के अवसर पर
आओ खाये एक कसम
त्याग कि बनी है जो अटूट रसम
मिटकर भी उसे निभायेंगे
पुकारेंगे पुकारेंगे
जय जय कार, जय जय कार
भारत माँ कि जय जय कार
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nice poem....!
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